महामृत्युंजय संपूर्ण मंत्र | Complete MahaMrityunjay mantra In Hindi

सम्पूर्ण महामृत्युंजय मंत्र  complete mahamrityunjaya mantra

महामृत्युंजय संपूर्ण मंत्र | Complete MahaMrityunjay mantra In Hindi

महामृत्युंजय मंत्र ऋग्वेद का एक श्लोक है,शिव को मृत्युंजय के रूप में समर्पित ये महान मंत्र ऋग्वेद में पाया जाता है महामृत्युंजय मंत्र के बारे में आप जानते हैं या नहीं ये मैं नहीं जानता लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि महामृत्युंजय मंत्र को एक तरह से नहीं बल्कि कई तरह से बोला जाता है महामृत्युंजय मंत्र के कई रूप हैं। उनमे से एक है सम्पूर्ण महामृत्युंजय मंत्र । तो चलिए पहले सम्पूर्ण महामृत्युंजय मंत्र (complete mahamrityunjaya mantra) के बारे में जानते हैं।



ॐ ह्रौं जूं सः। ॐ भूर्भवः स्वः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनांन्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌। स्वः भुवः भूः ॐ। सः जूं ह्रौं ॐ।

आमतौर पर आपने ऐसा मंत्र नहीं देखा होगा, आपने केवल "ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनांन्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌" देखा होगा परन्तु सभी यह बात नहीं जानते हैं की आखिर पूरा महामृत्युंजय मंत्र क्या होता है। 

इस मंत्र में 32 शब्दों का प्रयोग हुआ है और इसी मंत्र में ॐ' लगा देने से 33 शब्द हो जाते हैं। इसे 'त्रयस्त्रिशाक्षरी या तैंतीस अक्षरी मंत्र कहते हैं। श्री वशिष्ठजी ने इन 33 शब्दों के 33 देवता अर्थात्‌ शक्तियाँ निश्चित की हैं जो कि निम्नलिखित हैं।
इस मंत्र में 8 वसु, 11 रुद्र, 12 आदित्य 1 प्रजापति तथा 1 वषट को माना है। मंत्र विचार : इस मंत्र में आए प्रत्येक शब्द को स्पष्ट करना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि शब्द ही मंत्र है और मंत्र ही शक्ति है। इस मंत्र में आया प्रत्येक शब्द अपने आप में एक संपूर्ण अर्थ लिए हुए होता है और देवादि का बोध कराता है।

उपरोक्त मंत्र जो आप देख रहे हैं वह complete mahamrityunjaya mantra है लेकिन इसे संजीवनी मंत्र भी कहा जाता है। संजीवनी से शायद आप समझ गए होंगे जिस तरह से हनुमान जी ने लक्ष्मण को बचाने के लिए संजीवनी बूटी को उन्हें पिलाया था और उसे पीते ही लक्ष्मण पुनः जीवित हो गए थे। उसी तरह से यदि कोई बीमार व्यक्ति जिसे कोई भी बीमारी हो नियमित महामृत्युंजय मंत्र का जाप करता है तो उसका रोग ऐसे ख़त्म हो जाता है मानो उसे वह रोग कभी था ही नहीं।

                              यदि आप को कोई रोग भी नहीं है और आप केवल सुख समृधि चाहते हैं तो भी आप इसका जाप कर सकते हैं। सम्पूर्ण महामृत्युंजय मंत्र के अलावा जितने भी तरह के महामृत्युंजय मंत्र होते हैं उनकी जानकरी भी आपको दे देता हूँ अभी आप केवल ये जान ले कि ये कितने प्रकार के होते हैं।

1. वेदोक्त मंत्र- महामृत्युंजय का वेदोक्त मंत्र निम्नलिखित है-
त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌ ॥
2. तांत्रिक बीजोक्त मंत्र निम्नलिखित है-
ॐ भूः भुवः स्वः। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्‌। स्वः भुवः भूः ॐ ॥

महा मृत्युंजय मंत्र का अक्षरशः अर्थ:


त्रयंबकम = त्रि-नेत्रों वालायजामहे = हम पूजते हैं, सम्मान करते हैं, हमारे श्रद्देयसुगंधिम= मीठी महक वाला, सुगंधितपुष्टि = एक सुपोषित स्थिति,फलने-फूलने वाली, समृद्ध जीवन की परिपूर्णतावर्धनम = वह जो पोषण करता है, शक्ति देता है,स्वास्थ्य, धन, सुख में वृद्धिकारक; जो हर्षित करता है, आनन्दित करता है, और स्वास्थ्य प्रदान करता है, एक अच्छा मालीउर्वारुकम= ककड़ीइव= जैसे, इस तरहबंधना= तनामृत्युर = मृत्यु सेमुक्षिया = हमें स्वतंत्र करें, मुक्ति देंमा= नअमृतात= अमरता, मोक्ष

महा मृत्‍युंजय मंत्र का अर्थ:


समस्‍त संसार के पालनहार, तीन नेत्र वाले शिव की हम अराधना करते हैं। विश्‍व में सुरभि फैलाने वाले भगवान शिव मृत्‍यु न कि मोक्ष से हमें मुक्ति दिलाएं।|| इस मंत्र का विस्तृत रूप से अर्थ ||हम भगवान शंकर की पूजा करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो प्रत्येक श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं, जो सम्पूर्ण जगत का पालन-पोषण अपनी शक्ति से कर रहे हैं,उनसे हमारी प्रार्थना है कि वे हमें मृत्यु के बंधनों से मुक्त कर दें, जिससे मोक्ष की प्राप्ति हो जाए.जिस प्रकार एक ककड़ी अपनी बेल में पक जाने के उपरांत उस बेल-रूपी संसार के बंधन से मुक्त हो जाती है, उसी प्रकार हम भी इस संसार-रूपी बेल में पक जाने के उपरांत जन्म-मृत्यु के बन्धनों से सदा के लिए मुक्त हो जाएं, तथा आपके चरणों की अमृतधारा का पान करते हुए शरीर को त्यागकर आप ही में लीन हो जाएं.

अभी आपने जाना कि सम्पूर्ण महामृत्युंजय मंत्र क्या है इसके बाद हम अगली पोस्ट में जानेंगे की इस मंत्र के क्या लाभ है, और इसका जाप किस तरह से करना चाहिए|






















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